hindisamay head


अ+ अ-

कविता

लापता का हुलिया

कुँवर नारायण


रंग गेहुआँ ढंग खेतिहर
         उसके माथे पर चोट का निशान
कद पाँच फुट से कम नहीं
         ऐसी बात करता कि उसे कोई गम नहीं।
         तुतलाता है।
         उम्र पूछो तो हजारों साल से कुछ ज्यादा बतलाता है।
         देखने में पागल-सा लगता - है नहीं।
         कई बार ऊँचाइयों से गिर कर टूट चुका है

इसलिए देखने पर जुड़ा हुआ लगेगा
         हिंदुस्तान के नक्शे की तरह।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में कुँवर नारायण की रचनाएँ



अनुवाद